Friday, August 31, 2018

यूट्यूब को टक्कर देगा फेसबुक का नया टूल

फेसबुक दुनियाभर में अपनी वॉच वीडियो-स्ट्रीमिंग सर्विस लॉन्च करने जा रहा है. अमरीका में ये सर्विस एक साल से चल रही है.
ये सर्विस यूज़र्स को ढेरों विकल्प देगी, जिसमें से वो अपना पसंदीदा शो चुन सकते हैं. इनमें बड़े ब्रैंड्स और नए प्लेयर, दोनों के ही शो देखने को मिलेंगे. इसके अलावा न्यूज़ फीड में सेव की गई क्लिप भी यहां देखी जा सकेगी.
दर्शक जिस वीडियो को ज़्यादा देखेंगे, उसे विज्ञापन मिलने लगेंगे. अभी तक कुछ गिने-चुने पब्लिशर को ही ये फायदा मिलता था.
शुरुआत में ब्रिटेन, अमरीका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में दिखाई जाने वाली वीडियो में ही ये सुविधा होगी.
वीडियो से होने वाला मुनाफा निर्माता और फेसबुक में बाँटा जाएगा. निर्माता को 55% और फेसबुक को 45% पैसा मिलेगा.
फेसबुक बुधवार को सर्विस शुरू होने की तारीख बताने वाला था, लेकिन जानकारी लीक होने की वजह से घोषणा को टाल दिया गया. इसकी वजह से कुछ यूज़र इसका पेज नहीं देख पा रहे हैं.
फेसबुक की वॉच सर्विस को गूगल के यूट्यूब का प्रतिद्वंद्वी बताया जा रहा है. लेकिन ये ना सिर्फ यूट्यूब का बल्कि पारंपरिक टीवी चैनल्स और ऑनलाइन ऑउटलेट जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न वीडियो, बीबीसी आईप्लेयर और फेसबुक के अपने इंस्टाग्राम टीवी को भी टक्कर देगा.
पिछले हफ्ते आई एक स्टडी में बताया गया कि अमरीका के लोगों ने सिर्फ शुरुआती साल में ही इसमें दिलचस्पी दिखाई.
डिफ्यूज़न समूह ने 1,632 वयस्क फेसबुक यूज़र्स से इस बारे में सवाल किए. जिनमें से 50% ने वॉच के बारे में कभी सुना ही नहीं था, जबकि 24% ने कहा कि ऑन-डिमांड सर्विस के बारे में तो पता था, लेकिन उन्होंने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया.
सिर्फ 14% ने कहा कि उन्होंने हफ्ते में एक बार इस सर्विस का इस्तेमाल किया.
हालांकि एक दूसरी रिपोर्ट कहती है कि वॉच के कुछ शोज़ को लाखों लोगों ने देखा है. कुछ लोग उन शोज़ को बार-बार देखना चाहते हैं.
प्लेटफॉर्म के ओरिजनल प्रोग्राम्स के लिए कई बड़े सितारे भी काम कर रहे हैं.
फेसबुक का दावा है कि उनकी ये सर्विस लोगों को इंटरेक्ट करने में मदद करती है.
फेसबुक में वीडियो के वाइस प्रेसिडेंट फुड्जी सिमो कहते हैं, "कंटेंट को लेकर आप दोस्तों, दूसरे फैंस और खुद निर्माताओं से बातचीत कर सकते हैं."
सिमो वॉच पार्टी फीचर के बारे में बताती हैं. वो कहती हैं कि इस फीचर की मदद से दो लोग एक साथ शो देख सकते हैं. इसके अलावा इंगेजमेंट बढ़ाने के लिए निर्माता पोल, चैलेंज और क्विज़ चला सकते हैं.
अगर कोई निर्माता फेसबुक की वॉच सर्विस के लिए कंटेंट तैयार करना चाहता है, तो उसके पास कुछ योग्यता होनी ज़रूरी है:
  • निर्माता ने तीन मिनट से लंबी वीडियो बनाई हो
  • दो महीने के अंदर उनके कंटेंट को तीस हज़ार लोगों ने कम से कम एक मिनट देखा हो
  • उनके 10,000 से ज़्यादा फॉलोअर्स हों
  • उनका ऑफिस एड ब्रेक सुविधा वाले किसी एक देश में होएक इंडस्ट्री वॉचर का मानना है कि ये शर्ते स्वतंत्र वीडियो निर्माताओं के लिए फायदेमंद साबित होंगी. ये निर्माता यूट्यूब की नीतियों से काफी परेशान रहते हैं, क्योंकि यूट्यूब अपना खुद का विज्ञापन कार्यक्रम चलाता है.
    यही वजह है कि कई निर्माता कमाई के दूसरे तरीके खोजते रहते हैं. इनमें से कुछ ने तो अमेज़न के ट्विच का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इसलिए फेसबुक की वॉच सर्विस इन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है.
    फेसबुक का कहना है कि फ्रांस, जर्मनी, नॉर्वे, मेक्सिको और थाईलैंड जैसे देशों के निर्माताओं को सितंबर से एड ब्रेक मिलने लगेंगे.

Friday, August 17, 2018

化肥污染:考验地球承受力

海岸边漂浮着的海藻层层堆叠,看起来好似绿色的积雪。这些堆积如山的藻类已经成为中国沿海海洋污染的鲜明标志。在受影响最为严重的山东省青岛市,当局甚至动用推土机来清除海滩上数千吨的藻类。海面上每年都有藻华大面积爆发的现象,但不经常蔓延到海滩上。黄海上最大面积的藻华出现在2013和2017年,近3万平方公里的沿海水域(相当于朝鲜领土面积的四分之一)被海藻覆盖。
中国面临着海藻带来的问题。藻类大多无毒,尚未死亡堆积的海藻还可以作为景色吸引游客,但这种微小的海洋植物仅有几天的寿命,且分解时会消耗海洋中的氧气,并且散发出恶臭,形成几乎没有生命的死亡区。
海洋中存在自然形成的死亡区。但中国海岸线上的死亡区主要是氮等营养物质过剩造成的。氮的来源有很多,例如发电站和汽车尾气排放到空气中的氮氧化物,以及随着河流进入海洋的未经处理的污水、来自增长迅速的牲畜养殖场的粪肥、以及农民施在田间的过量的化肥。
为了养活全国超过13亿人口,中国农民单位土地面积的化肥施用量是世界上最高的,比其他国家高出200多公斤。这个数字是欧洲的两倍,也是上世纪60年代中国单位土地面积化肥施用量的50倍。
20多年前,美国环保主义者莱斯特·布朗在一本具有警示意义的书中问道“谁来养活中国?
这里的衡量标准是氮利用率——即植物所能吸收氮元素的比率。马里兰大学张鑫教授近来一项研究估计,中国的氮利用率仅有25%,居世界末位。全球的平均值为42%,美国为68%。
此外,半个世纪以来,中国一直在努力提高农业产量,随之而来的是氮利用率的持续下降。张鑫估计1961年中国的氮利用率为今天的两倍,大概在60%左右。
无独有偶,大多数发展中国家也试图提高产量,所以氮利用率也出现了下降。过去20年间,印度的利用率指数从40%降至30%,撒哈拉以南非洲使用化肥较少,所以指数仍然很高,但这种情况可能不会长久。
中国的氮利用率比其他国家下降更快的原因在于其氮肥的用量更大,这是因为化肥生产有专门的政策补贴造成的。
另一个原因在于中国的农作物结构。上世纪80年代以来,中国的水果和蔬菜产量出现大幅增长。这些作物本身的氮吸收率就不高,而目前水果和蔬菜种植占中国氮肥使用量的30%。另一方面,中国从国外,尤其是巴西进口大量大豆作为牲畜饲料,而大豆的氮利用率恰恰非常高。
”。最终中国实现了粮食自给,但这建立在大量的化肥之上。中国的化肥使用量占目前全球总量的30%,而其中越来越多的化肥并没有被作物吸收,而是被冲入排水沟,随着河流进入海洋。
农民面临的问题是,化肥的作用遵循收益递减的规律。对于已经几乎肥料饱和的土壤来说,所增加的肥料中,被农作物吸收的越来越少,冲入河里的越来越多。如果肥料足够便宜,农民仍有利可图,但环境遭受的损失会越来越大。
除了黄海的藻华,中国另一处反复出现的海洋死亡区位于东海的长江入海口附近。2013年这片海域估计损失了500万吨以上的氧气。科学家认为东海鱼类减少与藻华爆发、以及未能禁止拖网捕捞,使得鱼类种群得不到恢复都有关系。
除了通过河流进入海洋的氮肥,一些人还把死亡区的出现归咎于海草养殖业。中国东海沿岸海域有着大面积的紫菜养殖场,产量占全球三分之二。令人担忧的是,春天养殖户处理海草垃圾时,会直接扔进海里,任其腐烂,消耗氧气。
但另一方面,活体海草在生长过程中会吸收周围海水中过量的营养物质。所以如果能解决养殖场的垃圾问题,海草也不失为一个解决海水养分过量的方法,浙江大学的肖溪副教授说。

Sunday, August 12, 2018

'बैठने के अधिकार' की पूरी लड़ाई क्या है

केरल में सिल्क की साड़ियों के बड़े-बड़े शोरूम और उनमें ख़ूबसूरत साड़ियां पहने सेल्सवुमेन, एक आम नज़ारा है. पर वहां ख़रीदारी करने जाने वालों को शायद ये अंदाज़ा ना हो कि इन सेल्स वुमेन को 10-11 घंटे लंबे अपने काम के दिन के दौरान कुछ देर बैठने का भी अधिकार नहीं है.
यहां तक कि अगर काम के बीच थकान होने पर दीवार से पीठ टिकाकर खड़ी हो जाएं तो दुकान के मालिक जुर्माना लगा देते हैं.
साधारण-सी लगने वाली ये मांग पूरी करवाने के लिए औरतें आठ साल से संघर्ष कर रही हैं.
उत्तर भारत की दुकानों से अलग, यहां ज़्यादातर औरतें ही सामान दिखाने का काम करती हैं. मर्द इनसे ऊंचे पदों पर काम करते हैं.
इसलिए ये 'राइट टू सिट' औरतों का मुद्दा बन गया, और जो आवाज़ उठातीं, उनकी नौकरी तक पर बन आती.
जब माया देवी ने भी ये अधिकार मांगा तो उनकी नौकरी चली गई. चार साल पहले वो साड़ी के एक प्रसिद्ध शोरूम में काम करती थीं.
नौकरी थकाऊ थी पर उनका गुरूर थी और बाक़ी सेल्सवुमेन की ही तरह उन्हें शौचालय की सहूलियत तक नसीब नहीं थी.
माया ने बताया कि वो पानी भी कम पीती थीं. उन्हें पैरों में दर्द, 'वैरिकोज़ वेन्स', गर्भाशय संबंधी शिकायतें, यूरीनरी इन्फ़ेक्शन और कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही थीं.
वो बोलीं, "मैं 'राइट टू सिट' आंदोलन का हिस्सा इसलिए बनी क्योंकि मुझे लगा कि अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना ज़रूरी है."
माया को हिम्मत इस आंदोलन की मुखिया पी. विजी से मिली. विजी पेशे से दर्ज़ी हैं. दस साल की उम्र में ही उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा था.
वो ख़ूब आत्मविश्वास के साथ बात करती हैं. बहुत साफ़गोई से वो मुझे समझाती हैं कि उनकी जैसी अनपढ़ औरतों को इस आंदोलन के लिए जुटाना क्यों ज़रूरी था.
वो कहती हैं, "कपड़ा उद्योग में काम करनेवाली इन औरतों को श्रम क़ानून की जानकारी नहीं है और अगर कोई अपने पति को अपनी प्रताड़ना के बारे में बताए तो वो उसी को कसूरवार मानते हैं. इन्हीं वजहों से मुझे इनकी आवाज़ बनना पड़ा."
पर विजी के लिए ये आसान नहीं था. ज़्यादातर औरतों के लिए उनकी छोटी-मोटी सैलरी और नौकरी की वजह से घर से बाहर निकलने की आज़ादी बहुत क़ीमती है जिसे वो ख़तरे में नहीं डालना चाहतीं.
इसलिए सबसे पहले उन्होंने औरतों के अधिकारों के बारे में जानकारी छापकर शोरूम के बाहर बांटना शुरू किया.
विजी जानती थी कि सरकार की नीति बदलने के लिए ये ज़रूरी है कि औरतों के मुद्दों पर मर्दों की अध्यक्षता वाले रसूख़दार मज़दूर संघों का समर्थन मिले. पर उन्होंने कहा कि ये मांगें अहम नहीं हैं.
विजी बताती हैं, "उन्होंने कहा कि ये औरतें सिर्फ़ व़क्त काटने के लिए नौकरी करती हैं, सोचिए महिला कामगारों को ये मज़दूर संघ ऐसे नज़रिए से देखते हैं."
आख़िरकार विजी ने अपना मज़दूर संघ बनाया. कुछ हड़तालें भी आयोजित कीं.
इन्हीं सब की बदौलत सरकार ने कहा कि वो ये दस्तूर ख़त्म कर देगी, पर कुछ ख़ास नहीं बदला है.
केरल के कालीकट की कई दुकानों के चक्कर लगाने के बाद भी वहां काम करनेवाली औरतों ने यही बताया कि वो अपने मालिकों से बैठने का अधिकार मांगने से डरती हैं कि कहीं नौकरी ना चली जाए.
केरल व्यापारी संघ के राज्य सचिव टी.नज़ीरुद्दीन के मुताबिक सेल्सवुमेन को बैठने के लिए काफ़ी मौके दिए जाते हैं.
उन्होंने कहा, "केरल में हज़ारों दुकानदार हैं. अगर एक या दो कुछ बुरा बर्ताव कर रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि सभी ख़राब हैं."
हालांकि राज्य सरकार के मुताबिक उन्हें व्यापारियों के रवैये के ख़िलाफ़ सेल्सवुमेन से कई शिकायतें मिली हैं और इसीलिए वो जुर्माने की सज़ा भी लेकर आएंगे.
सेल्सवुमेन को उनकी महिला ग्राहकों से भी ख़ूब समर्थन मिल रहा है.
बाज़ार में बात की तो एक महिला ने कहा, "उन्हें बैठने का अधिकार मिलना चाहिए. ख़ास तौर पर जब कोई ग्राहक ना हों, उनके पास कुछ खाली व़क्त हो, उन्हें बैठने देना चाहिए."
दूसरी बोली कि ये अधिकार इसलिए भी मिलना चाहिए क्योंकि औरतें नौकरी तो करती ही हैं. उससे पहले वो घर के सारे काम भी ख़त्म करती हैं.
अब इंतज़ार है क़ानून के लागू होने का ताकि औरतें बेख़ौफ़ अपने बैठने के अधिकार के लिए खड़ी हो सकें.

Wednesday, August 8, 2018

वो महिला जिस पर भिड़े हुए हैं सऊदी अरब और कनाडा

"हम बहुत चिंतित हैं कि रैफ़ बादावी की बहन समर बादावी को सऊदी अरब में कैद कर लिया गया है. इस कठिन समय में कनाडा बादावी परिवार के साथ है और हम रैफ़ और समर बादावी की आज़ादी की मांग करते हैं."
कनाडा की विदेश मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने दो अगस्त को ये ट्वीट किया था जिसके बाद से दोनों देशों के बीच में हवाई सेवाएं बाधित हो गई हैं और एक राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर समर बादावी कौन है जिनके लिए दो देशों के बीच तनाव पैदा हो गया.
समर के भाई रैफ़ बादावी को भी सऊदी अरब में इस्लाम की आलोचना करने के मामले में जेल भेज दिया गया था. इसके साथ ही उनके भाई को इंटरनेट पर इस्लाम की आलोचना करने के मामले में साल 2014 में एक हज़ार कोड़ों के साथ दस साल की सज़ा सुनाई गई थी.
कनाडा के विदेश नीति विभाग ने समर की रिहाई को लेकर ट्वीट करके लिखा है, "कनाडा सिविल सोसाइटी और महिला अधिकारों की बात करने वाली समाजसेवी समर बादावी की गिरफ़्तारी को लेकर चिंतित हैं. हम सऊदी अधिकारियों से समर और दूसरे समाजसेवियों को रिहा करने का निवेदन करते हैं."
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के ट्वीट पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "ये सऊदी राज्य का अपमान है और इसके लिए कड़ी प्रतिक्रिया की ज़रूरत है जिससे भविष्य में कोई सऊदी संप्रुभता में हस्तक्षेप करने की हिमाकत न कर सके."
इसके तुरंत बाद सऊदी सरकार की ओर से प्रतिक्रिया आई और कनाडा के राजदूत को रियाद छोड़ने के लिए 24 घंटों का समय दिया गया.
इसके साथ ही सऊदी सरकार ने ओटावा से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और सभी व्यापार और निवेश से जुड़े समझौतों को रोक दिया है.
सऊदी सरकार ने कनाडा में रह रहे 15 हज़ार सऊदी यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप रोक दी है. इसके साथ ही सात हज़ार परिवारों को दूसरे देशों में जाकर बसने का आदेश जारी कर दिया है.
हालांकि, दोनों देशों के बीच व्यापार सिर्फ तीन हज़ार अमरीकी डॉलर्स का है.
लेकिन सऊदी अरब और कनाडा के बीच सैन्य ट्रकों को लेकर कॉन्ट्रेक्ट चल रहा है जिसके तहत 15,000 मिलियन अमरीकी डॉलर में कनाडा को सऊदी अरब को आर्मर्ड ट्रक बेचने थे.
लेकिन कनाडा में नई सरकार बनने के बाद जस्टिन ट्रूडो ने उन आलोचनाओं के ख़िलाफ़ कदम उठाया है जो एक तानाशाही सरकार को आर्मर्ड गाड़ियां देने से जुड़ी थीं.
कनाडा के इतिहास में ये एक सबसे बड़ा उत्पादन से जुड़ा सौदा था जिसकी वजह से तीन हज़ार नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं. लेकिन दोनों देशों के बीच रिश्तों के चलते इस समझौते का भविष्य साफ नहीं है.